किडनी की सुरक्षा, स्वस्थ जीवन की गारंटी : MGIMS, Hisar
किडनी हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण अंग हैं, जो खून को फिल्टर करके अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने और शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने में मदद करती हैं। जब किडनी सही से काम नहीं करतीं, तो इसे किडनी की खराबी या गुर्दा रोग कहते हैं। यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ सकती है और समय पर इलाज न मिलने पर गंभीर रूप ले सकती है। इसलिए, किडनी की खराबी के लक्षणों को जानना और सही इलाज करना बहुत महत्वपूर्ण है।
किडनी के खराब होने के लक्षण
थकान और कमजोरी : किडनी के खराब होने का सबसे सामान्य लक्षण है अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस करना। इसका कारण किडनी द्वारा शरीर में टॉक्सिन्स को सही तरीके से बाहर न निकाल पाना है, जिससे शरीर में विषैले पदार्थ जमा हो जाते हैं और ऊर्जा स्तर गिर जाता है।
मूत्र में बदलाव : किडनी की समस्या होने पर मूत्र में बदलाव देखने को मिलता है, जैसे कि मूत्र की मात्रा में कमी या बढ़ोतरी, रंग में परिवर्तन, झागदार मूत्र, या बार-बार पेशाब लगना।
सूजन (एडिमा) : किडनी के खराब होने पर शरीर में सोडियम और पानी जमा होने लगता है, जिससे पैरों, टखनों, चेहरे और हाथों में सूजन आ जाती है।
त्वचा पर खुजली और ड्राईनेस : किडनी सही से काम नहीं कर पाती तो शरीर में अपशिष्ट पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे त्वचा पर खुजली और ड्राईनेस हो सकती है।
भूख न लगना और उल्टी : किडनी की खराबी के कारण भूख न लगना, जी मिचलाना और उल्टी जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
सांस फूलना : शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ जमा होने के कारण फेफड़ों में सूजन आ सकती है, जिससे सांस फूलने की समस्या हो सकती है।
खराब किडनी का इलाज
डायग्नोसिस और नियमित जांच : किडनी की समस्या की सही पहचान के लिए नियमित जांच करवाना बहुत जरूरी है। ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, और इमेजिंग टेस्ट (जैसे कि अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन) के माध्यम से किडनी की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
मेडिकल ट्रीटमेंट : किडनी की खराबी के इलाज के लिए डॉक्टर द्वारा दवाएं दी जा सकती हैं, जो किडनी की कार्यक्षमता को सुधारने और लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं। इसमें ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए दवाएं, डायबिटीज को मैनेज करने के लिए दवाएं, और यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक्स शामिल हो सकती हैं।
डाइट और लाइफस्टाइल बदलाव : किडनी की सेहत को बनाए रखने के लिए डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी है। नमक और प्रोटीन की मात्रा को सीमित करना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, धूम्रपान और शराब से दूर रहना और नियमित व्यायाम करना फायदेमंद होता है।
डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट : यदि किडनी की खराबी गंभीर है और दवाओं से सुधार नहीं हो रहा है, तो डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत हो सकती है। डायलिसिस एक प्रक्रिया है जिसमें मशीन के माध्यम से खून को साफ किया जाता है, जबकि किडनी ट्रांसप्लांट में मरीज की खराब किडनी को हटाकर स्वस्थ किडनी लगाई जाती है।
महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हिसार में किडनी का इलाज
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