लैप्रोस्कोपिक सर्जरी: कम दर्द, तेज़ रिकवरी

महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हिसार में आधुनिक उपचार सुविधा

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी, जिसे 'कीहोल सर्जरी' भी कहा जाता है, एक अत्याधुनिक शल्य चिकित्सा पद्धति है जिसमें छोटे चीरों के माध्यम से ऑपरेशन किया जाता है। यह पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में कम दर्दनाक होती है और मरीजों की रिकवरी भी तेज़ी से होती है। महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हिसार (MGIMS Hisar) में अत्याधुनिक लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है, जिससे मरीजों को सर्वोत्तम इलाज मिल सके।

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदे:

✅ छोटे चीरे – परंपरागत सर्जरी की तुलना में छोटे चीरे होने से संक्रमण का खतरा कम रहता है।
✅ कम दर्द – ऑपरेशन के बाद कम दर्द होता है और दर्दनिवारक दवाओं की आवश्यकता भी कम होती है।
✅ तेज़ रिकवरी – मरीज जल्दी ठीक हो जाता है और सामान्य जीवनशैली में शीघ्र लौट सकता है।
✅ कम अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता – अधिकतर मामलों में मरीज को 24 से 48 घंटे में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।
✅ कम जख्म और निशान – शरीर पर बहुत कम या न के बराबर निशान रह जाते हैं।

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा उपचारित बीमारियां:

🔹 गॉलब्लैडर स्टोन (पित्ताशय की पथरी)
🔹 हर्निया (छोटी व बड़ी आंतों से जुड़ी समस्याएं)
🔹 अपेंडिक्स (अंधाशय में सूजन)
🔹 महिलाओं से जुड़ी समस्याएं (ओवरी सिस्ट, फाइब्रॉइड आदि)
🔹 पेट और आंतों की अन्य बीमारियां

आधुनिक तकनीक और अनुभवी विशेषज्ञ

MGIMS, हिसार में अनुभवी डॉक्टरों और अत्याधुनिक तकनीकों द्वारा लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है। यहां की विशेषज्ञ टीम मरीजों को संपूर्ण देखभाल और बेहतरीन इलाज प्रदान करती है।

आयुष्मान भारत योजना और कैशलेस बीमा सुविधा उपलब्ध

महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हिसार में आयुष्मान भारत योजना और अन्य कैशलेस बीमा सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिससे मरीजों को आर्थिक रूप से भी राहत मिलती है।

 

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